महर्षि वेदव्यास गुरुकुल __ आनंद धाम आश्रम, बक्करवाला मार्ग, नांगलोई, दिल्ली ४१
भारतीय संस्कृति के यग्न कुण्ड मै आप भी
Wednesday, September 9, 2009
Tuesday, September 8, 2009
Monday, September 7, 2009
Saturday, September 5, 2009
Vidhyarthi Prathiba Vikas By Pujya Sudhanshuji Maharaj
Vidhyarthi Prathiba Vikas By Pujya Sudhanshuji महाराज
विद्यार्थी प्रतिभा विकास, परम पूज्य सुधान्शुजी महाराज के सरल और सहज शैली में बताये गए विद्यार्थी जीवन के मुलभुत विकास आवश्यक सूत्रों का ये एक उपहार है। आपके बच्चों के पास जरुर होना चाहिए। कई सूत्रों को आप भी अपना सकते है, क्योंकि सीखना जिंदगी में कभी रुका नही है।
विद्यार्थी प्रतिभा विकास, परम पूज्य सुधान्शुजी महाराज के सरल और सहज शैली में बताये गए विद्यार्थी जीवन के मुलभुत विकास आवश्यक सूत्रों का ये एक उपहार है। आपके बच्चों के पास जरुर होना चाहिए। कई सूत्रों को आप भी अपना सकते है, क्योंकि सीखना जिंदगी में कभी रुका नही है।
धर्म क्या है - What is Religion
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgqEG-ezThh4pp06Venq96hy9hucanF_H60pdeWVVX5X-6Sx4CEr7onQcFmisA_UHWWSDDspIWjFDNT6yq84ARiLNtJI8kd05Y3KW-OUFOY8rWaeViHyRs7k7MhmmyfztIlEI1wFiXxZDc/s320/Dharm+Kya+Hai+02.jpg)
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धर्म क्या है - What is Religion
जिन गुणों को धान करने से मानवता पूजित होती है उन गुणों शास्त्रों मै धर्म कहा गया है। जिनसे न तो किसी को विरोध होता है और न ही भिन्नता व् धारणीय तत्व है। सत्य, धैर्य, क्षमा, दम, अस्तेय, विद्दा आदि जिनके कारण मानवता पूजित ही नहीं बल्कि जीवित भी रहती है। मानव जीवन में धर्म की क्या उपयोगिता है? इसके समाधान के लिए आईये परम पूज्य श्री सुधान्शुजीमहाराज की मुखारविंद से निकले हुए अमृतमयी वचनों को सुने और जीवन में धर्म को अपनाएं।
जीवन के प्रश्न - Questions of Life
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जीवन के प्रश्न - Questions of Life
वह कोइँ है जो रंग - बिरंगी तितलियों के पंखों को रंगता है? कोई है जो चंद्रमा मै मुस्कराता है? किसका प्रकाश सूर्य के द्वारा संसार में आता है? मनुष्य किस दुनिया से आया है? और किस दुनिया में जाएगा? जीवन क्या है? ऐसे मनुष्य के मन में अनेको जिग्यनासा मनुष्य के स्वाभाविक क्रिया है। आएये इन सभी प्रश्नों के समाधान हेतु सुनें परमपूज्य सुधान्शुजी महाराज के ह्रुदयगुहा से निकले हुए अमृतमय संदेश को "जीवन के प्रशन" सी, डी द्वारा।
मंजिल की ओर - Towards the Aim
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मंजिल की ओर - Towards the Aim
मनुष्य की आनंद्त यता अनवरत रूप से चली आ रही है और यात्रा तब तक जारी रहेगी जब तक उसको अपनी मंजिल नहीं मिल जाती। मंजिल क्या है? परमात्मा का द्वार अर्थात मोक्ष! मोक्ष ही यात्री का अन्तिम पड़ाव है। जीवन में मंजिल तक पहुचने के लिए मनुष्य को सदा चलते रहना चाहिए। इसलिए उपनिषद के क्र्रुशी ने उदघोशना की है की चरैवेति - चरैवेति वरन है विन्दते मधुम। जो चलते है वाही परमात्मा के आनंद को प्राप्त कर सकते है। साथ ही मनुष्य को हर रोज एक नई दिशा की नई उत्साह का, नए उल्लास की, आवश्यकता पड़ती है। हम अपनी मंजिल की और आगे कैसे पढ़ सकते है? आये! सुने परम पूज्य सुधान्शुजी महारजश्री पवित्र उदबोधन को।
शाश्वत धर्म - Long Lasing Religion
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शाश्वत धर्म - Long Lasing Religion
शाष्वत धर्म वह है जो सदा से है और स्वाभाविक है जैसे सत्य, दम, तप, शौच संतोष आदि ये वो गुण है जिन्हें अपनाने से आत्मा निरंतर निर्मल होती जाती है। इनसे ही आत्मा में निखार आता है और व्यक्ति देवत्व धारण करता है। आएये शाश्वत धर्म क्या है? सुनें परम पूज्य सुधान्शुजी महाराज की ह्रुदयगुहा से निकले हुए अमृत संदेश को इस आडियो सी, डी, द्वारा अपने जीवन को धर्ममय करे।
परम सत्य को जानो - Understand the Ultimate Truth
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परम सत्य को जानो - Understand the Ultimate Truth
सत्य वह है जो देशकाल परिस्थिति की सीमा मै बंधा हुआ न हो, जिसका स्वरुप सतचित और आनंद है उस परमात्मा तक पहुँचने के लिए अपने ग्रुदय का प्रक्षालन आवश्यक हीं नहीं बल्कि अत्यावश्यक है। क्योंकि वह सत्य स्वरुप परमात्मा शुद्ध ह्रदय मन्दिर में ही विराजमान होते है। आएये उस सर्वोत्कृष्ट परम सत्य को जानने के लिए सुनें परमपूज्य श्री सुधान्शुजी महाराज के ह्रुदयग्रुहा से निकले हुए अमृत उपदेश को।
भक्ति ज्ञान और घ्यान
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भक्ति ज्ञान और घ्यान
भक्ति ज्ञान और ध्यान परम प्रिय परमात्मा के आनंद धाम तक पहुँचने के सरल सोपन है। जिसको सरल, सहज, प्रकार, अनुभूत पद्धति और धार्मिक ग्रंथो के साक्षिपुर्वक परम पूज्य सुधान्शुजी महाराज ने इस संबंध में कृपापूर्वक अमृतमय दिव्य उपदेश दिए है। जिनके मध्यम से हम अध्यात्मिक मार्ग के पथिक अपना मार्ग सहज ही खोज सकेंगे। परम पूज्य श्री सुधान्शुजी महाराज आज अपने अमृतमय वाणी के माध्यम से जन - जन को धार्मिक प्रासाद प्रदान कर रहे है। हजारों लाखों श्रध्दालु उनकी रस - माधुरी से तरंगित होकर साधना से परम धाम तक के उपाय जान चुके है।
प्रस्तुत सी, डी, आप श्रवण कर परम आनंद को प्राप्त करने की कोशिश करें।
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