धर्मदूत - Monthly Letter
धर्म एवं सामाजिक जग्रूती का अनुपम मासिक पत्र
विश्वविख्यात संत पूज्य सुधान्शुजी की अमृत वाणी हर महीने अपने घर मै पाईये।
जैसे जैसे हम संसार में उलज़ते हट है हमारी साडी शक्ति न जाने कहाँ खर्चा हो जाती है। उड़ान खत्म हो जाती है। और आदमी रोज उलाज़ा रहा है। मोह ममत के सूत इतने गहरे है की उनको तोड़ पाना, उनसे बहार निकलान आसान नही है।
Friday, September 4, 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment